आतंकवाद और विश्व का आईना : ऑपरेशन सिन्दूर
प्रभात संवाद, 7 मई, जयपुर । कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने एक बार पुनः आतंकवादी संगठनों के अस्तित्व को बयां किया है आज वैश्वीकृत युग में भी जहां हम आधुनिक सोच , शांति, सद्भावना और वासुदेव कुटुंब जैसे वाक्य का उपयोग संपूर्ण विश्व को एकीकृत करने के लिए करते हैं । वहीं पर इस आतंकवादी हमले ने यह बता दिया है कि आज भी हम सीमाओं में बटे हुए देश हैं । इनमें कभी भी वसुदेव कुटुंबकम की भावना व्याप्त नहीं हो सकती है । लेकिन विचारणीय विषय यह है कि इतने कानून और न्यायिक संगठन होने के बाद भी आतंकवादी संगठन भी बिना किसी झिझक के संचालित है। इनके पीछे क्या कारण है और यह आतंकवादियों को क्यों प्रोत्साहन कर रहे हैं विश्व स्तर पर इन आतंकवादियों के विरुद्ध कोई ऐसे संगठन या समिति बनाई जाए जो इन्हीं पूर्णता जड़ से समाप्त करने के लिए प्रेरित करें या यह केवल महज एक माध्यम है राजनीति को संचालित करने का कहा जाता है सीमाओं के जवानों में हलचल है पता करो पास के देश में चुनाव तो नहीं है यह यह कथन आतंकवादियों के पीछे राजनीतिक कारण को दर्शाता है। लेकिन कश्मीर के पहल गांव में हुए आतंकवादी हमले की क्या सच्चाई है इसके पीछे अनेक मत हमारे सामने आए किसी ने कहा बलूचिस्तान में पाकिस्तान की ट्रेन को हैक जैक कर लिया गया था। इसीलिए उन्होंने ध्यान भटकने और जनता में अपनी छवि को बनाने के लिए यह हमला करवाया है । इसके साथ ही भारत इस हमले के माध्यम से जनता का आकर्षण चाहता है । वह प्रति उत्तर पाकिस्तान को देखकर यह जताने का प्रयास कर रहा है कि क्या वास्तव में हम भारतीय हैं और भारतीय राजनीति बहुत मजबूत है इस हमले से एक बात स्पष्ट होती है कि बिना आंतरिक भेद दिए कोई भी बाहरी देश आक्रमण नहीं कर सकता यानी कि कहीं ना कहीं कमी हमारी आंतरिक सीमाओं में है हमारी सामाजिक विचारधारा हमारी नैतिक मूल्य देश से गद्दारी की भावना रखने वाले लोगों के कारण ही आज हम शांतिपूर्ण जीवन ना जीने के लिए मजबूर है। अन्यथा एक शांतिपूर्ण जीवन आपके देश का विकास के रास्ते ही नहीं खुलता है बल्कि आपकी व्यक्तिगत उन्नति को भी प्रोत्साहन देता है । इस हमले में अगर स्थानीय लोगों का साथ आतंकवादियों को नहीं मिलता और सभी एकजुट होकर उनका मुकाबला करते तो शायद हम आज आतंकवादियों को ढेर करने में सफल हो जाते। लेकिन यह जो घटना दिखाई गई है यह वास्तविक नहीं इसके पीछे आने तथ्य छुपे हुए हैं । हम सबको मिलकर उन तत्थों तक पहुंचना है उन कारणों को खोजना है, तब जाकर हमारा भारत हमारा हिंदुस्तान बनेगा अन्यथा हम धर्म के नाम पर केवल अराजकता द्वेष तनाव और भावहीन संबंधों का निर्माण ही करेंगे कोई भी धर्म और मजहब आपको किसी को मारने की इजाजत नहीं देता है। प्रत्येक धर्म मानवता के रास्ते पर ही लेकर जाता है यानी कि हम कह सकते हैं हिंदू हो या मुसलमान हो अगर वह धार्मिक भावना का कटर है तो वह दूसरों को कभी भी नुकसान नहीं पहुंचाएगा लेकिन जो अपने धर्म अपनी समाज और अपने देश के विरुद्ध खड़ा है वही ऐसी आतंकवादी गतिविधियों में से लगन है। अतः मैं अपने सभी देशवासियों से निवेदन करती हूं कि इन घटनाओं की वास्तविकता को समझे और यह विचार करें कि हमारे भारत को विखंडित कौन करना चाहते हैं । ऐसी शक्तियों को प्रोत्साहन देकर धार्मिक मतभेद बढ़ने से कुछ भी हासिल नहीं होगा। हमारी शिक्षा स्तर को बढ़ाएं और विद्यार्थियों और युवाओं के मन में धार्मिक भेदभाव के स्थान पर राष्ट्रीयकरण की भावना को विकसित करें । क्योंकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है यहां सभी धर्म का सम्मान किया जाता है इसीलिए हम केवल राष्ट्रीयता की भावना को हमारे लोगों में व्याप्त करें ताकि कोई भी भारतीय नागरिक किसी भी धार्मिक अंधविश्वास का शिकार ना हो और कोई भी बाहरी देश हमारे किसी भी धर्म के नागरिक को अपना हथियार न बनाएं।
यह लेखक के अपने विचार हैं
डाॅ. सरोज जाखड
समाजशास्त्री