ओपिनियन

राजनीति और भ्रष्टाचार की लूट में आम आदमी की जिंदगी दाव पर

प्रभात संवाद, 16 अक्टूबर 2025, जयपुर @शेखर झा । प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से लगातार ऐसी खबरें आ रही हैं, जो समाज और प्रशासन की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं। जयपुर-अजमेर हाईवे पर हुई आगजनी, एसएमएस अस्पताल की घटना और जैसलमेर में बस दुर्घटना जैसी घटनाएँ इस बात की गवाही देती हैं कि आम इंसान की जिंदगी अब केवल अधिकारियों के निलंबन और मुआवजे तक ही सीमित रह गई है। यह दुखद और चिंताजनक है कि निर्दोष लोग, जिनकी कोई गलती नहीं, केवल पल भर की लापरवाही या प्रशासनिक कमजोरी की भेंट चढ़ रहे हैं। राजनीति और भ्रष्टाचार का गठजोड़ हर रोज आम आदमी की जिंदगी को निगल रहा है। घटनाओं के तुरंत बाद सरकारी बयानबाजी और मुआवजे की घोषणाएँ होती हैं, लेकिन वास्तविक सुधार कहीं नजर नहीं आता। समाज में मानवीय संवेदना की कमी और प्रशासनिक उदासीनता ने आम लोगों को इस क़दर असुरक्षित बना दिया है कि जीते जी उनकी जिंदगी मिट्टी में मिल जाती है। अफसोस की बात यह है कि जब भी कोई बड़ी घटना होती है, तो नेताओं और अधिकारियों की प्रतिक्रिया केवल विवादित बयान, फोटो-ऑप और मुआवजे की घोषणा तक सिमटकर रह जाती है। इससे यह स्पष्ट होता है कि उनकी प्राथमिकता जनता की सुरक्षा और जीवन की रक्षा नहीं, बल्कि राजनीतिक बचाव और छवि संवर्धन तक ही सीमित है। इस स्थिति में आम आदमी की जिंदगी जैसे कम महत्व की वस्तु बन गई है। देश में कानून और व्यवस्था के नाम पर जो ढांचा खड़ा किया गया था, वह केवल कागजों में ही जीवित नजर आता है। वास्तविकता यह है कि जनता असुरक्षा की भावना में जी रही है। चाहे सड़क हादसा हो, अस्पताल की लापरवाही हो या किसी बस दुर्घटना में जीवन की हानि हो, हर बार प्रशासन केवल रिपोर्ट बनाने और मुआवजा देने तक ही सीमित रह जाता है। यह समय अब सोचने का है। हमें केवल घटनाओं पर प्रतिक्रिया देने वाले शासन से आगे बढ़कर, जन सुरक्षा, कानून का कड़ाई से पालन और भ्रष्टाचार की जड़ तक नकेल कसने की जरूरत है। आम आदमी की जिंदगी राजनीति और भ्रष्टाचार की भेंट नहीं बन सकती। यदि इसी तरह निहत्थे लोग मार खाते रहेंगे और बयानबाजी से काम चलाया जाएगा, तो समाज में विश्वास और मानवता का कोई नामो-निशान नहीं बचेगा।

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