हर मोर्चे पर पिटता मेंटल डायबिटीज का शिकार पाकिस्तान
प्रभात संवाद, 10 मई, जयपुर @ मनोज वार्ष्णेय।
आजादी के बाद से ही पाकिस्तान भारत के खिलाफ झगड़े तथा आतंक की विसात बिछाता रहा है। आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, सामरिक और विकास जैसे मोर्चे पर वह दूसरे देशों से मदद लेकर भारत के खिलाफ आतंकवाद को पालता है। खुद के विकास के लिए दूसरे देशों के सामने गिड़गिड़ाकर और दयनीय बनकर जो रकम लाता है उस रकम को वह विकास में ना लगाकर आतंकियों को सुरक्षित करने तथा उन्हें दूसरे देशों में,खासकर भारत में जाकर इंसानियत का कत्ल करने के लिए फंडिंग करता है। लेकिन मेंटल डायबिटीज का शिकार पाकिस्तान हर मोर्चे पर भारत से पिटता रहा है।
भारत ही क्यों,उन देशों से भी उसे शर्मसार होना पड़ता है जो उसे गाहे-बगाहे आर्थिक-सामरिक मदद देते हैं। मेंटल डायबिटीज सुनने में भले ही अटपटा लगे लेकिन जिस तरह से पाकिस्तान के नेताओं का मानसिक दिवाला निकल हुआ नजर आता है उससे साफ पता चलता है कि जिस तरह से मधुमेह का शिकार शारीरिक रूप से खोखला हो चुका होता है,ठीक वैसे ही अब पाकिस्तान खोखला हो चुका है। किसी भी देश के विकसित होने के लिए चार बातें महत्वपूर्ण होती हैं। पहली वह आर्थिक रूप से मजबूत हो,दूसरा उसके पास इतनी सैन्य ताकत हो कि वह अपने देश-जनता की दूसरे देशों से रक्षा कर सके ,तीसरी यह कि उसका सामाजिक इतना रूतवा हो कि कोई भी देश उसका महत्व कम ना कर सके तथा चौथी बात और सबसे बड़ी बात यह कि उसके नागरिक उसके लिए अपनी जान न्योक्षावर करने में कतई ना झिझकें।
गत वर्षों के इतिहास को नजरअंदाज करके सिर्फ इस वर्ष यानि 2025 को ही देख लें तो स्पष्ट हो जाता है कि पाकिस्तान हर कहीं पिट रहा है। पाकिस्तान की माली हालत इतनी खराब है कि वह अपने देश के लोगों को अपने देश में ही पनप रहे आतंकवाद से राहत नहीं दिलवा पा रहा। बलूचिस्तान में जब-तब पाकिस्तानी सेना पिटती रहती है। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के दस्ते उसकी सेना को काफिलों को बम आदि के जरिए उड़ा देते हैं और कई बार तो हालात इतने खराब हो जाते हैं कि पूरी ताकत के बाद भी वह अपनी सेना की मदद नहीं कर पाता। इसी साल मार्च में बलूच विद्रोहियों ने जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को हाईजैक कर लिया था और आतंकवादियों के दम पर कूदने वाली पाक सेना उस रेल को लगभग दो दिन में छुड़ा पाई थी। अफगानिस्तान के तालिबानी नेताओं ने भी इसी तरह से उसके साथ बर्ताव किया है। भारत में आतंकवादियों के माध्यम से मासूम नागरिकों की,विशेषकर महिलाओं के सामने उनके पति की हत्या के बाद से तालिबानी भी नाराज हैं। वह खुद कह रहे हैं कि पश्तूनों को इस मामले में नहीं पडऩा चाहिए।
आर्थिक मोर्चे पर तो उसकी हालत इतनी खराब है कि वह अपनी जनता को पानी तक मुहैया करवाने में असमर्थ है। दरअसल वह जो भी आर्थिक मदद दूसरे देशों,मददगार संगठनों आदि से लेता है उसका एक बड़ा भाग भारत के खिलाफ आतंकवाद को समर्थन देने में करता है। उसकी सेना की जितनी भी अवैध गतिविधियां भारत के खिलाफ होती हैं उसमें भी वह बड़ी धनराशि खर्च कर देता है। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भारत में जैसे ही उसके पाले हुए आतंकियों ने सामूहिक हत्या को अंजाम दिया,पाकिस्तान इतना डर गया कि उसने अपनी सेना को देश सुरक्षा के लिए लगा दिया। अनुमान है कि हर रोज वह कम से कम पांच सौ करोड़ तो इस सुरक्षा पर खर्च कर ही रहा है। यदि वह आतंक को पालता नहीं तो यह धन उसके विकास में काम आता। इस पर भारत ने उन सभी मददगार संस्थाओं से अपील की है कि वह पाकिस्तान को आर्थिक मदद ना दें,क्योंकि वह जो मदद देते हैं वह पाकिस्तान भारत की मासूम जनता को आतंकित करने में खर्च करता है। खुद अमेरिका या उसके जैसे दूसरे देश भी अब समझ रहे हैं कि पाकिस्तान किस तरह से उसे मिल रही मदद को गलत काम में खर्च कर रहा है।
पाकिस्तान की सबसे बड़ी चोट है उसका सामाजिक असम्मान। चीन,तुर्किए और एक दो देशों के अतिरिक्त उसके पक्ष में कोई खड़ा नजर नहीं आ रहा है। भारत के आपरेशन सिंदूर ने उसके देश में आतंक के चेहरों को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया और पाकिस्तान सिर्फ बिलबिलाकर रह गया। उसे उम्मीद थी कि भारत के इस आपरेशन की उसके मददगार दोस्त राष्ट्र निंदा करेंगे,लेकिन सभी ने भारत को ना सिर्फ सराहा बल्कि यह कहा कि उसे अपनी रक्षा को पूरा अधिकार है। यूं भी इस्लामिक आतंक से दुनिया के अधिसंख्या राष्ट्र पीडि़त हैं। इस तरह से पाकिस्तान को जहां से मदद की उम्मीद थी,वहां से उसे असम्मान ही मिल रहा है। किसी भी देश के लिए यह शर्मनाक ही होगा कि उसको विश्व के दूसरे देश असम्मान के भाव से देखें। जरा याद कीजिए कि उसने किस तरह से क्रिकेट के विश्व कप आयोजन के दौरान नखरे दिखाए थे और बाद में उसकी कितनी बेइज्जती हुई थी। यहां पर भी भारत का पलड़ा ऊंचा ही रहा था।
सैन्य अथवा सामरिक क्षेत्र में तो उसकी हालत बांग्लादेश जैसी है। भारत ने पाकिस्तान को तीन बार उसके घर में ही जाकर धूल चटा दी और वह अरबों डालर के उधार से प्राप्त सैन्य सामग्री से अपनी रक्षा नहीं कर सका। कारण,यह रहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सैन्य अभियान के लिए सेना को पूरी छूट दी तथा देश की जनता ने भी अपनी सेना का मनोबल बढ़ाने के लिए हर प्रकार से सहयोग किया। इसके विपरीत पाकिस्तान के हुकमरान सेना के ईशारे पर नाचते रहे। इससे बड़ी शर्म और दुखद बात कोई नहीं हो सकती कि किसी भी देश का नागरिक युद्ध या युद्ध जैसी परिस्थिति में अपने देश की मदद के स्थान पर दूसरे देश भाग जाने की बात कहें। यह बात सभी जानते हैं कि पाकिस्तान की मस्जिदों से मौलानाओं/ आम जनता ने खुलकर यह बात कही थी कि वह भारत का साथ देंगे या भारत भाग जाएंगे। बात सीधी सी है कि इस तरह की बातें वही करते हैं जो खुद को अपने घर मेंं सुरक्षित महसूस नहीं करते। और पाकिस्तान की सेना की हालात तो वहां का हर नागरिक जानता है।
आखिर पाकिस्तान हर मोर्चे पर पिट क्यों रहा है? इसका एक सीधा सा उत्तर यह भी है कि वह सिर्फ भारत के खिलाफ ही सारे काम कर रहा है। उसका ध्यान, धन, सैन्य ताकत सिर्फ इस बात के लिए उपयोग हो रही है कि किस तरह से भारत को आतंकित रखा जाए। जबकि भारत अपने देश के नागरिकों के विकास के साथ ही कूटनीतिक,सामरिक क्षेत्र में तो जबरदस्त तरीके से काम कर ही रहा है। पाकिस्तान जहां तक सोच ही नहीं पाता,वहां से आगे भारत कार्यों को अंजाम दे चुका होता है। पाकिस्तान में जा रहा भारत का पानी रोकना हो या फिर उसकी एनर्जी को डराकर ही खर्च करा देना कम नहीं होता। अब पाकिस्तान भले ही यह सोच-सोचकर परेशान हो कि भारत का अगला कदम क्या होगा?