राजस्थान

जिम्मेदारी, समर्पण और सेवा भाव की मिसाल बने राजस्थान के 78 बीएलओ

जयपुर, 21 नवबंर। राजस्थान के गांवों, ढाणियों, रेगिस्तानी टीलों और दूरस्थ इलाकों में इन दिनों एक अदृश्य लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण मुहिम चल रही है—मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण–2026। घर-घर पहुंचकर मतदाताओं को जोड़ने, त्रुटियों को सुधारने और लोकतंत्र की इस बुनियादी प्रक्रिया को सटीक बनाने के लिए बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। 4 नवंबर से शुरू इस अभियान में प्रदेश भर के जिन 78 बीएलओ ने अपनी जिम्मेदारी को न केवल समय पर पूरा किया बल्कि उत्कृष्टता के साथ निभाया, उन्हें जिला निर्वाचन अधिकारियों और मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए उपस्थिति में सम्मानित किया गया।

मरुस्थल से पहाड़ तक…कठिन भौगोलिक चुनौतियों में भी जिम्मेदारी निभाई—
मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्री नवीन महाजन ने इन बीएलओ को न केवल सम्मानित किया बल्कि कहा कि इनका समर्पण राजस्थान के विविध भूगोल जितना ही विस्तृत है। कहीं नहरी क्षेत्र, कहीं पहाड़, कहीं दूर-दूर तक फैला मरुस्थल—हर स्थान पर इन अधिकारियों ने बिना थके, बिना रुके अपना कर्तव्य निभाया।

ढाणियों तक पैदल पहुँचने का जुनून…नोखा के हुकुम चंद सैन की कहानी—
बीकानेर जिले की नोखा तहसील के भाग संख्या 87 के बीएलओ हुकुम चंद सैन का अनुभव इस मुहिम का असली स्वरूप सामने लाता है। उनकी क्षेत्र में लगभग 150 ढ़ाणियां हैं। खेतों में दूर-दूर बसे इन ढाणियों तक पहुंचना आसान नहीं, फिर भी उन्होंने घर-घर पैदल जाकर एसआईआर का शत प्रतिशत कार्य 18 नवंबर तक पूरा कर लिया।

एसआईआर से संबंधित कार्य पूरा होने के बाद हुकुम चंद ने खुद आगे बढ़कर अपने सुपरवाइज़र के साथ अन्य बीएलओ की डिजिटाइजेशन और मैपिंग में मदद शुरू कर दी। उन्होंने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को बताय कि ग्रामीणों, एईआरओ और सुपरवाइज़र का सहयोग उन्हें लगातार ऊर्जा देता रहा।

60 किलोमीटर का सफर और रेगिस्तानी टीलों पर पैदल चलना… जैसलमेर के करनैल सिंह का अदम्य साहस—
जैसलमेर के भाग संख्या 84 के बीएलओ करनैल सिंह की कहानी कठिन परिस्थितियों में जिम्मेदारी निभाने का एक और उदाहरण है। उनके बूथ का क्षेत्र कई ढाणियों में बंटा हुआ है और इनके बीच काफी दूरी है।
कुछ मतदाता माइग्रेट कर गए थे, जिन तक पहुंचने के लिए उन्हें 60 किलोमीटर तक की यात्रा करनी पड़ी। यात्रा का कुछ हिस्सा रेगिस्तान के ऊँचे-ऊँचे टीलों पर पैदल तय किया गया।

इसके बाद भी वे रुके नहीं—19 नवंबर को कार्य शत-प्रतिशत पूरा करने के बाद उन्होंने स्वेच्छा से पड़ोसी बूथ लेवल अधिकारियों की गणना प्रपत्र भरने और डिजिटाइजेशन में मदद शुरू कर दी।

एक टीम की तरह काम करने का संदेश—
सम्मान समारोह के दौरान मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने सभी उत्कृष्ट बीएलओ से अपील की कि वे अपने विधानसभा क्षेत्र के अन्य बीएलओ का सहयोग करें। उनका कहना था—
“जब सभी मिलकर आगे बढ़ेंगे, तभी राज्य में विशेष गहन पुनरीक्षण कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण होंगे।”

लोकतंत्र की जड़ों को मज़बूत करते ये नायक—
यह फीचर स्टोरी केवल 78 बीएलओ के सम्मान की नहीं, बल्कि उन सैकड़ों अधिकारियों की मेहनत, निष्ठा और सेवा-भाव की है जो राजस्थान के हर मतदाता तक लोकतंत्र की आवाज पहुंचाने में लगे हैं।
कभी रेगिस्तान की धूल उड़ाती हवाओं में, कभी खेतों के बीच पगडंडियों पर, कभी पहाड़ी रास्तों पर—वे एक-एक घर में जाकर सिर्फ एक काम कर रहे हैं: लोकतंत्र को मजबूत बनाना।

इन 78 बीएलओ का सम्मान वास्तव में उन सभी का सम्मान है जो बिना किसी स्वार्थ, बिना किसी दिखावे के लोकतंत्र की इस जिम्मेदारी को ईमानदारी से निभा रहे हैं।

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